Monday 25 February 2013

होली



सीस धरो तुम्हरे चरनन में ,

अब छोड़ देयो बनवारी ,

भीज गयी मोरी धानी चुनर और ,

भीजी मोरी सारी ,

मोकों काय रंगत हो कान्हा ,

बे तो , सखियन ने दी गारी ,

मैं तो तुम्हरी जनम जनम तों ,

सबहूँ ते तुमकों प्यारी ....

तज दये अबिर , गुलाल ,

पिचकारी हू भू पै डारी ,

रंग रंगी मैं तो तुम्हरे ही ,

प्रेम रस में भीजी तिहारी ...

चातक , मोर , पपीहा बोलें बन में ,

टेसूअन ने ,मादक गंध पसारी ,

फूल रही सरसों खेतन में ,

मंद मंद हंसत जाये सुकुमारी ,

गारी देत जात मन मन में ,

भरसक करत चिरौरी ,

बिनती सुनत कान्हा हंस दीन्हो ,

स्याम रंग दीन्ही बांकी गोरी ,

सब रंग रंगे बाके ही रंग में ,

ऐसी खेली होरी .......


"शैली"

10 comments:

  1. रचनाशीलता आपकी बहुत ही प्रभावी है । जिस तरह कम शब्दों से पंक्तियाँ छन्द और अलंकार से स्वाचलित हो कर पंक्तीयाँ बढ रही वो आपके काव्य कोशलता को दिखा रही हैं ।
    *** ध्यान दें शैली... आपका ब्लाग लाक नही .... इसे ताला लगायें .. वो कैसे.. किसी भी मित्र ब्लागर के ब्लाग में जायें चाहे मेरे या प्रीती जी के .. और , इसे ताला लगायें जिस से कोई आसानी से कापी पेस्ट ना कर सके ..
    सादर
    अनुराग एहसास

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    1. Anurag da..aap ke utsaahvardhan ke liye sadaiv abhaari rahi hoon. hardam prayaasrat rahoongi ki aap ki aashaon par khari utroon.

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  2. वाह! क्या व्रज की होली खेली है, बहुत सुन्दर शब्दों से सजी मनमोहक रचना.
    नीरज'नीर'
    www.kavineeraj.blogspot.com

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    1. Neeraj bhai, blog par aane ke liye bahut shukriya. aap jitni pratibha ki dhani to nahin, jo tooti footi koshish ban padti hai, use sarahne ke liye bahut dhanyawad.

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    2. शैली दी आप ऐसा कह कर मुझे शर्मिंदा ना करें, मुझे पता है आप कितनी प्रतिभा की धनी है, मै आपके चरण रज के बराबर भी नही.
      सादर
      नीरज 'नीर'

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  3. ब्रज की मोहक होली का अद्भुत सजीव भाव

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    1. आप के आगमन भर से मैं कृतार्थ हो गयी। कविता भी सार्थक हुई। आप का बहुत बहुत बहुत धन्यवाद।

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  4. मैं तो तुम्हरी जनम जनम तों ,
    सबहूँ ते तुमकों प्यारी ....
    तज दये अबिर , गुलाल ,
    पिचकारी हू भू पै डारी ,
    रंग रंगी मैं तो तुम्हरे ही ,
    प्रेम रस में भीजी तिहारी ...

    ब्रज की होली खेली तो नहीं पर अब जरूर खेलूँगा , बहुत सुंदर रचना

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  5. वाह शैली ....ऐसी रंगीली होली ...पध्कर्युं लगा जैसे राधा सच में कृष्ण से शिकायत कर रही हैं ...बहुत सुंदर

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