Tuesday 12 November 2013

क्या कहें , क्या नहीं ....

कुछ कहा भी नहीं और कुछ सुना भी नहीं ,
ख्वाब देखा भी नहीं , ख्याल कुछ बुना भी नहीं।

इश्क़  लहर है, एक सिम्त कहाँ  बहती है ,
डूब के देखा है, ये आग का दरिया भी नहीं।

तैरते बहते रहे और कभी उबरे डूबे ,
इतना मुश्किल भी नहीं और ये आसां भी नहीं।

दिल को हैरां  किया ,लिया जान का जोखिम ,
आँख शर्मिंदा नहीं और मन  पशेमां भी नहीं।

वो एक शख्स जो मोहब्बत के दावे करता था ,
आज दूर बहुत  है मुझसे, और परेशां भी नहीं।

बड़ा शातिर था क़ातिल , क़त्ल कर बैठा ,
बरी भी हो गया ,  हमें हुआ गुमां भी नहीं।

सब उसी आग में जलते हैं जिसमे जले हैं हम ,
राख हुए हैं हम ,और ज़रा धुंआ भी नहीं।

:शैली 

10 comments:

  1. दीदी बहुत खूब सुंदर....उत्तम हमेशा जैसे
    हमारे ब्लॉग का पता लगा आप भूल गयी....
    खामोशियाँ

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    1. :P Rahul bhai yaar ye blogging apne bas ki bala nahin :D khud hi mahine mein ek do baar aa pate hain?? kaise log itne followers ikkatha kar lete hai, maloom nahin :P apan to theek thaak likh k bhi apna blog nahin market kar paye :D

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    2. ऐसा नहीं हैं दीदी....समय मिले तो आ जाया करिए,,,,

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  2. वो एक शख्स जो मोहब्बत के दावे करता था ,
    आज दूर बहुत है मुझसे, और परेशां भी नहीं।
    बहुत ही लाजवाब शेर .. वो दूर है पर परेशान नहीं ... सुभान अल्ला इस सादगी पे ...

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    1. Digambar ji, blog par padharne aur mera hausla badhane ke liye koti koti naman!! bahut dhanyawaad.

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  3. कह दिया सब कुछ पर अब कोई शिकवा भी नहीं ......

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    1. mwaaahhh meri diddi....yahaan aane aur comment karne ke liye bahut sa thank u!!

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  4. वो एक शख्स जो मोहब्बत के दावे करता था ,
    आज दूर बहुत है मुझसे, और परेशां भी नहीं।

    Ye sher haasil-e-ghazal hai ...behad achchha

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    1. bhai jaaannnn...:) shukriya shukriya..aakhir behen kiski hoon??

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  5. bahut bahut aabhaar aapka jo mujhe is yogya samjha.

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