Friday 10 May 2013

क्या से क्या हो गए


रात आई, ख्व़ाब सारे, चाँद तारे हो गए
हम बेसहारा ना रहे, ग़म के सहारे हो गए

तुम हमेशा ही रहे, बेगुनाहों की फेहरिस्त में
तुम्हारे जो भी थे गुनाह, अब नाम हमारे हो गए

आज हम भी जुड़ गए, रोटी को निकली भीड़ में
किस्मत के मारे जो थे हम, सड़कों के मारे हो गए

बंट गया वजूद अपना, कितने ही रिश्तों में अब
तन एक ही रह गया , दिल के टुकड़े हमारे हो गए

तैराए दुआओं के जहाज़, उम्मीदों के समंदर में
हम तो बस डूबे रहे, बाक़ी सब किनारे हो गए

कल किसी ने नाम लेकर, दिल से पुकारा था हमें
अब तक थे जो अजनबी, अब जाने-पहचाने हो गए

कहते थे जब हम ये बातें, दीवाना बताते थे हमें
आज वे बतलाने वाले, खुद ही दीवाने हो गए

दिल के ये जज़्बात तुमको, नज़र करने थे हमें
गाफ़िल मोहब्बत में रहे, खुद नजराने हो गए

इश्क जो करते हो तुम, आज बतला दो हमें
अब तलक बस हम थे अपने, अब से तुम्हारे हो गए

नींद भी गायब है अपनी, चैन भी टोके हमें
अश्क जो रातों में बहे थे, जुल्फों में अफ़साने हो गए

है अधूरी ये ग़ज़ल, मुकम्मल तुम करदो इसे
वो चंद जो आशार थे, बहर से बंजारे हो गए

रात आई, ख्व़ाब सारे, चाँद तारे हो गए
हम बेसहारा ना रहे, ग़म के सहारे हो गए


"शैली"

4 comments:

  1. रात आई, ख्व़ाब सारे, चाँद तारे हो गए
    हम बेसहारा ना रहे, ग़म के सहारे हो गए--
    बहुत अच्छी अभिव्यक्ति !
    डैश बोर्ड पर पाता हूँ आपकी रचना, अनुशरण कर ब्लॉग को
    अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
    latest post'वनफूल'
    latest postअनुभूति : क्षणिकाएं

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  2. है अधूरी ये ग़ज़ल, मुकम्मल तुम करदो इसे
    वो चंद जो आशार थे, बहर से बंजारे हो गए

    रात आई, ख्व़ाब सारे, चाँद तारे हो गए
    हम बेसहारा ना रहे, ग़म के सहारे हो गए
    बहुत शानदार ग़ज़ल शानदार भावसंयोजन हर शेर बढ़िया है आपको बहुत बधाई
    कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
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  3. शैली : बहुत प्यारी , बहुत बहुत बहुत बढ़िया गज़ल-- यह मुशायरा होता तो जाने कितनी बार मैंने 'दुबारा- दुबारा' का शोर किया होता... :)

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  4. बहुत ही बेहतरीन रचना..
    सुन्दर...
    :-)

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