हथेलियाँ फैलाये ,
गंगाजल हाथ में लिए ,
आचमन करते हुए ,
उगता सूरज हाथों में ,
प्रतिबिंबित होते देखा ,
मेरे हाथ में ही प्रकाश है ,
हाथ से उगेगा सूर्य ,
ह्रदय तक जाएगा ,
पूरे तन में रश्मियाँ फैलेंगी ,
कभी हो सकता है ,
ताप ज़यादा तेज हो जाये ,
उस समय तुम ,
अपनी आँखें ढँक लेना ,
सांझ की प्रतीक्षा करना ,
जितना चढ़ा है सूर्य ,
उतना उतरेगा भी ,
उसे वापिस हथेली में समेट लेना ,
सुबह होने में देर नहीं ....
:शैली
गंगाजल हाथ में लिए ,
आचमन करते हुए ,
उगता सूरज हाथों में ,
प्रतिबिंबित होते देखा ,
मेरे हाथ में ही प्रकाश है ,
हाथ से उगेगा सूर्य ,
ह्रदय तक जाएगा ,
पूरे तन में रश्मियाँ फैलेंगी ,
कभी हो सकता है ,
ताप ज़यादा तेज हो जाये ,
उस समय तुम ,
अपनी आँखें ढँक लेना ,
सांझ की प्रतीक्षा करना ,
जितना चढ़ा है सूर्य ,
उतना उतरेगा भी ,
उसे वापिस हथेली में समेट लेना ,
सुबह होने में देर नहीं ....
:शैली