Friday 29 November 2013

हथेली का सूर्य

हथेलियाँ फैलाये ,
गंगाजल हाथ में लिए , 
आचमन करते हुए , 
उगता सूरज हाथों में , 
प्रतिबिंबित होते देखा , 
मेरे हाथ में ही प्रकाश है ,
हाथ से उगेगा सूर्य , 
ह्रदय तक जाएगा , 
पूरे तन में रश्मियाँ फैलेंगी , 
कभी हो सकता है , 
ताप ज़यादा तेज हो जाये , 
उस समय तुम , 
अपनी आँखें ढँक लेना , 
सांझ की प्रतीक्षा करना , 
जितना चढ़ा है सूर्य , 
उतना उतरेगा भी , 
उसे वापिस हथेली में समेट लेना , 
सुबह होने में देर नहीं ....

:शैली

2 comments:

  1. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति...नई उमंग जगाने का संदेश देती रचना।।।

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    1. Ankur ji...bahut dhanyawaad aapka!! Uddeshya bhi yahi tha!!

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