Friday 22 March 2013

हम देंगें





खामोशियों को , अपनी ज़ुबान हम देंगें ,
दुखते जहां को , खुशियों का सामान हम देंगे ,

हम वो नहीं जो डर के छुपा लें अपने तर्कश को ,
जलते तीरों को , तानी कमान हम देंगे , 

चिल्लाते रहे तुम , कभी ख़ुदा न मिला , 
कल से मस्जिद से पहली अज़ान हम देंगे , 

हौसलों को दर-ब-दर भटकने को किया मजबूर , 
इनको मज़बूत औ पुख्ता मकान हम देंगे , 

धूप में झुलसे , भटकते राही को , 
एक लम्हा ठहरने को वितान हम देंगे , 

बहुत अधूरे हो ले कर अपने हिस्से की ज़मीं , 
पूरे हो जाओगे जब आसमान हम देंगें , 

परखने चले हो आज हमारा दीन-ओ-ईमान , 
घबराता कौन है , खुल के इम्तिहान हम देंगें , 

खामोशियों को , अपनी ज़ुबान हम देंगें , 
दुखते जहां को , खुशियों का सामान हम देंगे , 
"शैली