Wednesday 27 February 2013

क्षितिज का कोना






दूर जहां मिलते हैं धरा और गगन ,
उस क्षितिज के उजालों और अंधेरों में ,
एक कोना मेरा भी है ....
स्वप्न नगरी में उड़ते हैं कितने ही ख़्वाब ,
उन में एक,
सपना सलोना मेरा भी है ....
कहते हैं हर एक रात की होती है एक सुबह ,
जागती प्रतीक्षारत आँखों को ,
एक सवेरा मेरा भी है ....
ज़मीन पर कितने घरौंदे और जाने कितने मकां ,
इन घरों में ,
एक रैन बसेरा मेरा भी है .....
बस चाहिए थोड़ी ज़मीं और ज़रा सा आसमां ,
फिर तो कहने को ,
सारा जहां मेरा ही है ....
"शैली"

Monday 25 February 2013

होली



सीस धरो तुम्हरे चरनन में ,

अब छोड़ देयो बनवारी ,

भीज गयी मोरी धानी चुनर और ,

भीजी मोरी सारी ,

मोकों काय रंगत हो कान्हा ,

बे तो , सखियन ने दी गारी ,

मैं तो तुम्हरी जनम जनम तों ,

सबहूँ ते तुमकों प्यारी ....

तज दये अबिर , गुलाल ,

पिचकारी हू भू पै डारी ,

रंग रंगी मैं तो तुम्हरे ही ,

प्रेम रस में भीजी तिहारी ...

चातक , मोर , पपीहा बोलें बन में ,

टेसूअन ने ,मादक गंध पसारी ,

फूल रही सरसों खेतन में ,

मंद मंद हंसत जाये सुकुमारी ,

गारी देत जात मन मन में ,

भरसक करत चिरौरी ,

बिनती सुनत कान्हा हंस दीन्हो ,

स्याम रंग दीन्ही बांकी गोरी ,

सब रंग रंगे बाके ही रंग में ,

ऐसी खेली होरी .......


"शैली"

Saturday 16 February 2013

ज़रूरी तो नहीं


हम हैं जुदा , बहुत फासले हैं दरमियाँ ,

पर हो तुमसे मुलाक़ात , ज़रूरी तो नहीं ......

बहुत एहसास उठते है दिल में लेकिन ,

तुम्हारे भी हों वही जज़्बात , ज़रूरी तो नहीं .....

मेरी बातों से तेरी ही खुशबू आती है ,

तुम्हे हो मुझसे इत्तेफ़ाक , ज़रूरी तो नहीं .....

निगाहों में हम तुमको ख़ुदा बनाये बैठे हैं ,

तेरे लिए हो मेरी वही ज़ात , ज़रूरी तो नहीं ....

तुम परिंदे हो फलक के , है उड़ने की आदत ,

मेरे पंखों को मिले आकाश , ज़रूरी तो नहीं .......

हारे हैं हम बाज़ी जां की तुझपे लगा कर ,

पर दे दें तुझे मात , ज़रूरी तो नहीं .....

दिल है , आ गया किसी पे उसकी मर्ज़ी ,

अब चल भी दे कोई साथ , ज़रूरी तो नहीं .......

जहां भर से सुनते रहे हम उनके फ़लसफ़े ,

सबसे मिलते हों ख़यालात , ज़रूरी तो नहीं .....

दिल में अपने कई अरमान सजा रखे हैं ,

पूरी हो जाये हर एक बात , ज़रूरी तो नहीं .....

नींद आ जाती है हमको पर बमुश्किल ,

ख़्वाबों की मिल जाये सौगात , ज़रूरी तो नहीं ......

तेरे दिल में हो वही बात , ज़रूरी तो नहीं ....

तुझे हो मुझसे इत्तेफ़ाक , ज़रूरी तो नहीं .......

"शैली"

Friday 15 February 2013

सुन ओ पगले ...


न बैठ हार कर अभी से इस तरह तू ,

अपनी ज़िन्दगी का भार तो उठा पगले !!!

कश्तियाँ शांत सागरों में भी डूब जाती हैं ,

न पतवार से तू हाथ को हटा पगले !!!

ज़ख्म का इलाज न हो , तो नासूर बनते हैं ,

इस तरह अपनी चोट ना छिपा पगले!!!

पूजी जाती हैं बस मूर्तियाँ मंदिरों में ही ,

अपने आप को पत्थर तो न बना पगले!!!

ज़माने लग जाते हैं बटोरने में खुशियों को ,

ज़िन्दगी के जुए में खुशियाँ न लुटा पगले !!

खुश रहने को बहुत सी बातें हैं जहां में ,

मायूसियों के चेहरे से नकाब हटा पगले !!!

न बैठ हार कर अभी से इस तरह तू ,

अपनी ज़िन्दगी का भार तो उठा पगले !!!

"शैली"