Monday 7 January 2013

ह्रदय संगीत

मैंने तो कोई गीत नहीं गाया ,
जाने कहाँ से गूँज पड़े ,
वादी में सुर,
वीणा की ध्वनि ,
मृदंग की थाप,
क्या ये मधुर संगीत रस,
मेरे ह्रदय से आया ??
बरबस ही झंकृत हुए,
मन के सितारों के तार ,
मन के आह्लाद से ,
कम्पित बारम्बार ,
मैंने तो किंचित भी ,
 घुंघरू   बजाया ......
क्या तुमने कुछ घोल दिया ,
मेरे मन के भीतर ,
कुछ मृदु सा , कुछ मधुर ,
कुछ प्रेम रस जैसा  सरल    , 
निश्चित ही तुमने मन  ,
प्रीत से सजाया ....
जानूं मैं जानूं अब ,
यह संगीत कहा से आया ,
क्यूँ जीवन के गीत सा ये ,
ह्रदय में समाया ......

"शैली"

पता नहीं कल क्या गाऊंगी


पता नहीं कल क्या गाऊंगी ,
शायद भरी भीड़ में यूँ ही ,
परछाईं बन कर खो जाऊंगी ....

नेह भरे नैनों की बातें ,
उगते सूरज , काली रातें ,
तूफानों से घिरे समंदर ,
कब तक शब्दों में बुन पाऊंगी ...
पता नहीं कल क्या गाऊंगी ....

अंतर्मन का घोर अँधेरा ,
ढलती शामें , नया सवेरा ,
फूलों की काटों की बातें ,
जाने कब तक बतलाऊंगी ...
पता नहीं कल क्या गाऊंगी ....

आज नयी बातें मुझ पर हैं ,
तारीफें , आँखें मुझ पर हैं ,
कल को जो चुप बैठी तो मैं ,
शायद खुद से कतराऊँगी ...
पता नहीं कल क्या गाऊंगी .......

मेरे शब्दों में ढल जाते ,
घर बाहर  और रिश्ते नाते ,
जाने इन रिश्तों के बंधन ,
कब तक यूँ मैं सह पाऊंगी ....
पता नहीं कल क्या गाऊंगी ......

सूरज अंधियारे से हारे ,
बुझे जा रहे दीपक सारे ,
ऐसे घोर अंधेरों में मैं ,
कैसे , कब तक जग पाऊंगी ....
पता नहीं कल क्या गाऊंगी ....

"शैली"